चौरचन पूजा: मिथिला की पारंपरिक त्यौहार है जिसमे डूबते सूर्य के साथ उगते चंद्र को पूजते हैं

आज है लोकपर्व चौरचन आज के दिन मिथिलांचल में डूबते सूरज को ही नहीं कलंकित चांद को भी पूजता है।

नमस्ते, मेरे प्रिय पाठकों! आज हम बिहार के मिथिलांचल के एक महत्वपूर्ण त्यौहार "चौरचन पूजा" के बारे में बात करेंगे। यह एक अद्वितीय और धार्मिक पर्व है, जो मिथिला क्षेत्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

1. चौरचन पूजा का महत्व:

 - चौरचन पूजा मिथिला की विशेष पारंपरिक पूजा है, जिसमें चंद्र देव की पूजा की जाती है। इसे "चौठ चंद्र त्यौहार" भी कहा जाता है।

2. त्यौहार की तैयारी:

   - महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं और चंद्रमा की पूजा के लिए तैयारी करती हैं।
3. चंद्र दर्शन का महत्व:
   - इस दिन चंद्रमा का दर्शन करने का महत्वपूर्ण अर्थ है, लेकिन किसी को भी झूठे कलंक से बचाने के लिए चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए।
4. पूजा की परंपरा:
   - चौरचन पूजा मिथिला में प्राचीन समय से ही मनाई जाती है, और यह महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से चंद्रमा की पूजा और दर्शन का महत्व समझाया जाता है।
5. चौरचन की कथा:
   - एक प्राचीन कथा के अनुसार, चौरचन का त्योहार चंद्र देव के साथ ब्रह्मा और गणेश के बीच के एक घटना से जुड़ा है, जिसमें चंद्र दर्शन का महत्व बताया गया है।

6. दही का महत्व:
   - चौरचन पूजा में दही का महत्वपूर्ण स्थान है, और इसका उपयोग पूजा के दौरान किया जाता है।
7. रंगोली और सजावट:
   - घरों को सजाने के लिए रंगोली बनाई जाती है और आंगन को खूबसुरत बनाया जाता है।

✴️चौरचन पूजा मिथिला की संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो चंद्र देव की पूजा और दर्शन के माध्यम से हमारे जीवन में शुभता और सुख का आगमन करता है। यह पर्व हमें यह याद दिलाता है कि हमें प्राकृतिक और आध्यात्मिक सुंदरता की कद्र करनी चाहिए।
चौरचन त्योहार से जुड़ी हुई कथा :
एक पुरातन कथा अनुसार, 1 दिन भगवान गणेश अपने वाहन मूषक के साथ कैलाश का भ्रमण कर रहे थे. तभी अचानक उन्हें चंद्र देव के हंसने की आवाज आई. भगवान गणेश को उनके हंसने का कारण समझ में नहीं आया इसीलिए उन्होंने चंद्रदेव से इसका कारण पूछा. 
चंद्रदेव ने कहा कि भगवान गणेश का विचित्र रूप देखकर उन्हें हंसी आ रही है, साथ ही उन्होंने अपने रूप की प्रशंसा करनी ही शुरु कर दी. मजाक उड़ाने की इस प्रवृत्ति को देखकर गणेश जी को काफी गुस्सा आया. उन्होंने चंद्र देव को श्राप दिया और कहा कि जिस रूप का उन्हें इतना अभिमान है वह रूप आज से करूप हो जाएगा. कोई भी व्यक्ति जो चंद्रदेव को इस दिन देखेगा, उसे झूठा कलंक लगेगा. भले ही व्यक्ति का कोई अपराध ना भी हो परंतु यदि वह इस दिन चंद्र देव को देख लेगा तो वह अपराधी ही कहलाएगा.
💞आपके प्रश्न या विचार हो तो कृपया साझा करें, 🙏
जे सुनील सर,
#समस्तीपुर,#बिहार

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